विश्व पोषण दिवस पर जागरूकता अभियान की शुरुआत

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लखनऊ| इस बार के राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार को सहयोग देने वाली संस्थाओं ने भी मीडिया के साथ संवाद करके पोषण सप्ताह के महत्व को जन-समुदाय तक पहुंचाने में अपनी भागेदारी निभायी|

ADVT

पोषण क्या है ?
पोषण आहार-तत्व सम्बन्धी विज्ञान है। यह एक नर्इ विचारधारा है, जिसका जन्म मूलत: शरीर विज्ञान तथा रसायन विज्ञान से हुआ है। आहार तत्वों द्वारा मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन एवं विश्लेषण इसका मुख्य विषय है। दूसरे शब्दों में शरीर आहार सम्बन्धी सभी प्रक्रियाओं का नाम ही पोषण है।
मूलरूप से पोषण की परिभाषा इस तरह से दे सकते हैं, आहार, पोषण तत्व व अन्य तत्व उनका प्रभाव और प्रतिक्रिया तथा स्वास्थ्य व बीमारी से उसका सम्बन्ध व संतुलन का विज्ञान ही पोषण है। यह उस क्रिया को बताता है जिसके द्वारा कोर्इ जीव भोजन ग्रहण कर, पचाकर, अवशोषित कर शरीर में उसका वितरण कर उसे शरीर में समावेशित करता है तथा अपचित भोजन को शरीर से बाहर निकालता है। इतना ही नहीं पोषण का सम्बन्ध भोजन व उस भोजन के सामाजिक, आर्थिक व मनोवैज्ञानिक प्रभावों से भी है।

पोषक तत्व
भोजन के वे सभी तत्व जो शरीर में आवश्यक कार्य करते हैं, उन्हें पोषण तत्व कहते हैं। यदि ये पोषण तत्व हमारे भोजन में उचित मात्रा में विद्यमान न हों, तो शरीर अस्वस्थ हो जाएगा। कार्बोज, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण व पानी प्रमुख पोषण तत्व हैं। हमारे भोजन में कुछ ऐसे तत्व भी होते हैं, जो पोषण तत्व नहीं होते, जैसे रंग व खुशबू देने वाले रासायनिक पदार्थ।
ये आवश्यक तत्व जब (सही अनुपात में) हमारे शरीर की आवश्यकता अनुसार उपस्थित होते हैं, तब उस अवस्था को सर्वोत्तम पोषण या समुचित पोषण की संज्ञा दी जाती है। यह सर्वोत्तम पोषण स्वस्थ शरीर के लिए नितान्त आवश्यक है। कुपोषण उस स्थिति का नाम है जिसमें पोषक तत्व शरीर में सही अनुपात में विद्यमान नहीं होते हैं अथवा उनके बीच में असंतुलन होता है। अत: हम कह सकते हैं कि कुपोषण अधिक पोषण व कम पोषण दोनों को कहते हैं। कम पोषण का अर्थ है किसी एक या एक से अधिक पोषण तत्वों का आहार में कमी होना। उदाहरण – विटामिन ए की कमी या प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण। अधिक पोषण से अर्थ है एक या अधिक पोषक तत्वों की भोजन में अधिकता होना। उदाहरण, जब व्यकित एक दिन में ऊर्जा खपत से अधिक ऊर्जा ग्रहण करता है, तो वह वसा के रूप में शरीर में एकत्रा रहती है और उससे व्यकित मोटापे का शिकार हो जाता है।
आहार और स्वास्थ्य का घनिष्ठ सम्बन्ध है। रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और अन्य वैज्ञानिकों ने सदियों लम्बे अध्ययन और अनुसंधान के बाद यह तथ्य स्थापित किए हैं। शरीर के पोषण पर अनेक बातों का प्रभाव पड़ता है; जिनमें भोजन की आदतें, मान्यताएं, मन:स्थिति, जातीय, भौगोलिक, धार्मिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, आहार और उसका उत्पादन राष्ट्रीय व अंत: आहार सम्बन्धी नीतियां जैसे मछलीकरण, वितरण, शिक्षा इत्यादि।
अधिकांश सभ्यताओं में स्वास्थ्य का महत्त्व समान है। वास्तव में हर समाज में स्वास्थ्य के विषय में उनकी अपनी विशेष धारणा है। आमतौर पर स्वास्थ्य को बीमारी का न होना मानते हैं। व्यकितगत तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि स्वास्थ्य का महत्त्व सबसे अधिक है क्योंकि अक्सर इसका महत्त्व आवश्यकतानुसार बदलता रहता है। व्यकितगत तौर पर अक्सर दूसरी आवश्यकताएं जैसे कि धन, बल, विधा, सुरक्षा एवं प्रतिष्ठा इत्यादि स्वास्थ्य के महत्त्व को कम महत्त्व देती है और स्वास्थ्य को निशिचत मानकर हम उसकी ओर विशेष ध्यान तब तक नहीं देते जब तक कि उसे खो न दे।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह
लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और भलाई के बारे में उनको जागरुक करने के लिये प्रति वर्ष 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष भी पोषण सप्ताह मनाया जायेगा | अच्छा दिखने और महसूस कराने के लिये पूरे विश्व को राष्ट्रीय पोषण सप्ताह अभियान के द्वारा शिक्षित किया जा सकता है। लोग अपने खाने की थाली और संतुलित आहार को लेकर लोग जागरुक हो सकते हैं जिससे वो अच्छा पोषण प्राप्त कर सकते हैं। एक अच्छे स्वास्थ्य के लिये भरपूर अनाज, फल, हरी सब्जी, चिकनाई रहित दूध या दूध के उत्पाद, मीट, मछली, बादाम आदि खाना चाहिये। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का लक्ष्य एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने का है जिसके लिये दूसरे अभियानों के साथ स्वीकृत प्रशिक्षण, समय से शिक्षा, सेमिनार, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, रोड शो आदि के द्वारा समुदायों के लोगों के बीच पोषण संबंधी परंपरा की जागरुकता को फैलाने की जरुरत है।
इस एक सप्ताह चलने वाले अभियान में एक-दिनी प्रशिक्षण, स्वस्थ पदार्थों से पोषण युक्त भोजन को बनाना, गृह-विज्ञान के विद्यार्थियों द्वारा लगायी गई एक प्रदर्शनी, गेंहूँ और सोयाबीन के पौष्टिक महत्व के बारे में लोगों को समझाना, विभिन्न प्रतियोगिताएँ, माताओं को पोषण संबंधि भाषण, सेमिनार और रोड शो आदि के द्वारा लोगों को जागरुक किया जाता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह अभियान के पास एक साजो-सामान है जो स्वस्थ खाना बनाने के लिये परिवार की सहायता के लिये संसाधनों से भरा होता है। इस अभियान में विश्व भोजन दिवस और वर्ष 2010 से न्यूड फूड डे भी जुड़ा है।
रिपोर्टस के अनुसार ये ध्यान देने के योग्य कि लोगों ने मीठे पेय पदार्थों का उपयोग शुरु कर दिया है जो कि किशोरवस्था में ही मोटापा और वजन बढ़ने का एक बड़ा कारण है। 8 सितंबर 2010 में लोगों को पोषण संबंधी जागरुकता को बताने के लिये खाद्य विज्ञान विभाग तथा पोषण प्रबंधन ने एक दिवसीय उत्सव की स्थापना की। इस अभियान के तहत पोस्टर प्रतियोगिता, स्वस्थ हृदय के भोजन के लिये खाना पकाने की प्रतियोगिता, संतुलित आहार के लिये समझाना, बीएमआई को नापना, बीमारियों पर व्याख्यान, हृदय की सुरक्षा आदि शामिल हैं।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का इतिहास
पोषण शिक्षा के द्वारा अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1982 में केन्द्रीय सरकार द्वारा पहली बार इस अभियान की शुरुआत की गयी क्योंकि राष्ट्रीय विकास के लिये मुख्य रुकावट के रुप में कुपोषण है। इसी लक्ष्य के लिये लोगों को बढ़ावा देने के लिये, खाद्य और पोषण बोर्ड की 43 ईकाई (महिला और बाल विभाग, स्वास्थ्य और एनजीओ) पूरे देश में कुशलता से कार्य कर रही है।
पैदा हुए नवजात शिशु को एक बड़े स्तर की प्रतिरक्षा और स्वस्थ जीवन उपलब्ध कराने के लिये 6 महीनों तक माँ का दूध या नवदुग्ध के रुप में जाना जाने वाला पहला दूध अपने नवजात को पिलाने के लिये दूध पिलाने वाली माँ को बहुत प्रोत्साहित किया जाता है। बैंगलोर, मिलर रोड के भगवान महावीर जैन अस्पताल में पोषण और आहार के लिये एक जागरुकता कार्यक्रम रखने के लिये बैंगलोर से भारतीय आहार समीति ने फैसला लिया जिसमें हृदय संबंधी बीमारी, डॉयबिटीज़, तथा बच्चों और महिलाओं के आहार को भी शामिल किया जायेगा।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पर गतिविधिया

  • राष्ट्रीय पोषण सप्ताह उत्सव के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय पोषण नीतियाँ चलायी जाती है।
  • राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को पूरे सप्ताह मनाने के द्वारा विभिन्न पोषण संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा लोगों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
  • सरकारी और गैर-सरकरी स्वास्थ्य संगठनों द्वारा बड़ी संख्या में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
  • पोषण संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण साजो-सामानों के वितरण के द्वारा लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • फल, सब्जी और घरों के दूसरे खाद्य पदार्थों के बचाव के लिये लोगों को उचित प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • भोजन के विश्लेषण और मानकीकरण के बारे में लोगों को ठीक प्रशिक्षण दिया जाता है।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह उत्सव का लक्ष्य
समुदाय में विभिन्न पोषण और आहार की समस्या की आवृत्ति का पुनरीक्षण करना।
गहन शोध के द्वारा पोषण संबंधी समस्याओं को नियंत्रित और बचाव के लिये उचित तकनीक का आँकलन करना।
आहार और पोषण के लिये देश के स्थिति की निगरानी करना।
राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम को लागू करने और योजना के लिये प्रक्रिया संबंधी शोध पर कार्य करना।
स्वास्थ्य और पोषण के बारे में अनुकूलन प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को जागरुक करना।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की कुछ वर्षों की विषय-वस्तु (थीम)

  • 2017 का विषय है ” फीलिंग स्मार्ट फ्रॉम द स्टार्ट (FEELING SMART FROM THE START)”।
  • 2016 का विषय था “मेरा भोजन तथा टेक होम राशन “।
  • 2015 का विषय था “बेहतर पोषण: विकास के लिए महत्वपूर्ण”।
  • 2014 का विषय था “पोषक आहार देश का आधार”।
  • 2013 का विषय था “बनाओ, खाओ और आनन्द उठाओ”।
  • 2012 का विषय था “पोषण जागरुकता- स्वस्थ राष्ट्र का समाधान”।
  • 2011 का विषय था “शुरुआत से ही अच्छा भोजन”।
    राष्ट्रीय पोषण सप्ताह में 1000 गोल्डन दिनों की उपलब्धता एवं आवश्यकता के बारे में समुदाय को जागरूक किया जाता है जिसमें कि गर्भावस्था के 270 दिन और शिशु के जन्म के बाद पहले 2 वर्ष के के अन्दर के 370 दिनों की महत्ता के बारे में पोषण सम्बन्धी विभिन्न संदेशों के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया जाता है |कुछ महत्पूर्ण सन्देश निम्नवत हैं|

स्तनपान-

  • बच्चा पैदा होने के 1 घंटे के अन्दर स्तनपान शुरू कर देना
  • बच्चे को जन्म से 6 माह तक केवल माँ का दूध पिलाना

बच्चे को अनुपूरक आहार देना (6 महीने के बाद स्तनपान के साथ-साथ )

  • समय से
  • उचित मात्र में
  • दिन में कई बार

अन्य पोषक तत्व देना

विटामिन- A

  • आयोडीन
  • आयरन और फोलिक एसिड की गोलिया
  • गर्भावस्था के दौरान आयरन और फोलिक एसिड की गोलिया खाना

कुपोषित बच्चों की देखभाल

  • कुपोषित बच्चो की देखभाल और प्रबंधन

इस बार के राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार को सहयोग देने वाली संस्थाओं ने भी मीडिया के साथ संवाद करके पोषण सप्ताह के महत्व को जन-समुदाय तक पहुंचाने में अपनी भागेदारी निभायी

पोषक तत्त्व युक्त आहार खाओ, सदैव अच्छी सेहत पाओ ।

 

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