जम्मू कश्मीर में घुसपैठ पर अंकुश लगने और आतंकियों को चुन-चुन कर मारने के लिए ऑपरेशन ऑल आउट से निराश होकर पाकिस्तान ने अपनी खीज निकालने के लिए स्नाइपरों की संख्या बढ़ा दी है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दबाव बनाने के लिए पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ स्नाइपर राइफल से निशाना साधने में माहिर पाकिस्तानी सेना के अतिरिक्तशार्प शूटरों की तैनाती की गई है। ये शार्प शूटर पाकिस्तान सेना से मंगवाए गए हैं। ऐसे में सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) के जवानों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा संबंधी कानूनों के मुताबिक सीमा सुरक्षा में जुटे अर्धसैनिक बल स्नाइपर राइफल नहीं रख सकते, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स की हर विंग के पास इस समय आठ स्नाइपर राइफलें हैं। इसके अलावा रात के समय भी एक से दो किलोमीटर तक मार करने वाली नाइट विजन से लैस विदेशी स्नाइपर राइफलें हैं। कायर दुश्मन सामने आकर लड़ने के बजाय अंधेरे में वार कर इस साल अब तक एक दर्जन से अधिक सैनिकों और सीमा प्रहरियों को शहीद कर चुका है। इनमें से आधा दर्जन मामले जुलाई और उसके बाद हुए हैं।
पाकिस्तान ने कहने के लिए तो अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रेंजर्स की तैनाती की है, लेकिन रेंजर्स की हर विंग की कमान सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल के हाथ है। दो साल के लिए रेंजर्स में आने के बाद उसका रैंक विंग कमांडर का हो जाता है। ऐसे में सीमा पर गोलीबारी से लेकर घुसपैठ करवाने तक रेंजर्स को सेना का पूरा समर्थन मिलता है। सूत्रों के अनुसार स्नाइपिंग के बढ़ते मामले सीमा सुरक्षा बल के जवानों पर दबाव बनाकर घुसपैठ करवाने की मंशा से किए जा रहे हैं। पाकिस्तान घुसपैठ न होने से हताश है। उसकी कोशिश है कि वह अपनी मर्जी की जगह पर गोलीबारी से ऐसे हालात पैदा करे, जिसकी आड़ में आतंकी सीमा पार कर सकें। बीएसएफ के आइजी राम अवतार का कहना है कि हमें आतंकियों की मौजूदगी की सूचनाएं मिल रही हैं। इन्हें नाकाम बनाने की पूरी तैयारी है। सीमा पार से होने वाली गोलाबारी दुश्मन के हताश होने का सुबूत है।
उधर नापाक इरादे, इधर बदले का जुनून
अपने साथियों को निशाना बनाने की घटनाओं से बीएसएफ के जवानों में गम, गुस्सा व बदला लेने का जुनून है।बीएसएफ की 192 बटालियन के ब्रिजेंद्र बहादुर सिंह से पहले एक सितंबर को पुंछ में कमलजीत सिंह भी स्नाइपर फायर में शहीद हुए थे। शुक्रवार को अपने साथी ब्रिजेंद्र बहादुर को अंतिम विदाई देने आए 192 बटालियन के जवानों और अधिकारियों का कहना था कि समय आने पर दोस्त की मौत का बदला जरूर लिया जाएगा।