राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की 64.3प्रतिशत वोटों के होने वाली जीत कई मायनों में अहम है। जीत के नतीजे देश में विपक्षी राजनीतिक दलों में एकता का अभाव दर्शा रहे हैं।
एनडीए उम्मीदवार मुर्मू की जीत में विपक्षी दलों की क्रॉस वोटिंग की बड़ी भूमिका स्पष्ट है। विभिन्न राज्यों के कई विधायकों द्वारा अपने दलों के विरुद्ध राष्ट्रपति पद के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है। ऐसा करके इन विधायकों ने विपक्षी प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को पराजित करने में मदद की।
प्राप्त मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ 125 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। मतगणना से भी स्पष्ट है कि मुर्मू को 17 सांसदों की क्रॉस वोटिंग का लाभ मिला।
विपक्ष की ओर से पूरी कोशिश के तहत 2024 में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश की गई। जिसकी शुरुआत राष्ट्रपति चुनाव होने की बात भी कही गई। यशवंत सिन्हा के नाम पर बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी जैसे दल विपक्ष के साथ नहीं आए। उनके लिए एनडीए उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन करना आसान हो गया।
इसके अलावा असम, झारखंड और मध्यप्रदेश के विपक्षी विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में मतदान किया। जानकारी के मुताबिक़ असम के 22 और मध्य प्रदेश के 20 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। बिहार और छत्तीसगढ़ के छह-छह, गोवा के चार और गुजरात के 10 विधायकों ने भी क्रॉस वोटिंग की होगी।