भारत के कई खूबसूरत हिल स्टेशन्स ऐसे हैं, जिन्हें अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के लिए बनवाया था। आज इन हिल स्टेशन्स में हमें कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं। इनके बारे में जानें दिलचस्प बातें
आप जानते ही होंगे कि मैदानी इलाकों की गर्मी को सहन करना अंग्रेजों के लिए कितना मुश्किल था, इस वजह से ब्रिटिश अधिकारियों को ऐसी जगहों की तलाश रहती थी, जहां गर्मियों के वक्त जाया जा सके। इस कारणअंग्रेजों ने कई कस्बों और छोटी बस्तियों को हिल स्टेशनों और समर रिट्रीट में बदल दिया था। आसान शब्दों में यह कह सकते हैं कि भारत के कई खूबसूरत हिल स्टेशन्स ऐसे हैं, जिन्हें अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के लिए बनवाया था। आज इन हिल स्टेशन्स में हमें कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं लेकिन इसके ड्राफ्ट की बात करें, तो ऐसा माना जाता है कि भारत में इन जगहों को टूरिस्ट फ्रेंडली बनाने के लिए अंग्रेजों इन हिल स्टेशन्स को स्थापित किया था।
दार्जिलिंग
19वीं शताब्दी में ब्रिटिश राज द्वारा विकसित, दार्जिलिंग आपको गर्मी में राहत देने वाली जगहों में से एक है। यहां भीड़-भाड़ से दूर आपको शांंति मिलेगी। यदि रिपोर्ट्स की मानें, तो दार्जिलिंग ट्रेन रूट के बनने के बाद इस जगह के विकास में और तेजी आई है।
पचमढ़ी
19वीं शताब्दी के करीब अंग्रेजों ने मध्य प्रदेश में पचमढ़ी की स्थापना की। यहां पर आपको ब्रिटिश हेरिटेज को दर्शाने वाली कई जगहें देखने को मिल जाएंगी। दिलचस्प बात यह है कि औपनिवेशिक युग की संरचनाओं को अब खूबसूरत हेरिटेज होटलों में बदल दिया गया है, जहां दुनिया भर से लोग आराम फरमाने के लिए आते हैं।
माथेरान
महाराष्ट्र के इस खूबसूरत हिल स्टेशन को भी अंग्रेजों ने सुहावने मौसम में आराम करने और मैदानी इलाकों की गर्मी को कम करने के लिए विकसित किया था। यहां आप पुरानी औपनिवेशिक वास्तुकला को देखेंगे। आप यहां आएं, तो माथेरान हिल रेलवे को देखना न भूलें। इसे 1907 में बनवाया गया था।
शिमला
1815 में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया था और उससे पहले, यह सिर्फ एक साधारण गांव था। अंग्रेजों ने तब यहां चर्च, स्कूल और बंगले बनवाए थे। साथ ही, ब्रिटिश सरकार ने कालका-शिमला रेलवे लाइन विकसित की, जो यहां आने के लिए सबसे पॉप्युलर रूट है। साथ ही, हिमाचल प्रदेश की राजधानी के चारों ओर फैली औपनिवेशिक वास्तुकला, इसे बेहतरीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाती है।
ऊटी
इस जगह को पहले ओट्टाकल मांडू के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में ब्रिटिश शासन के तहत उधगमंडलम से बदलकर ऊटाकामुंड कर दिया गया। लोगों ने बाद में इसे फिर से छोटा करके ऊटी कर दिया। यह जगह अंग्रेजों के लिए रिजॉर्ट टाइप की थी। 1908 में, अंग्रेजों ने नीलगिरि माउंटेन रेलवे स्टेशन का निर्माण किया। आज, यह स्थान अपने सुहावने मौसम के कारण मशहूर है।
देहरादून
यहां अंग्रेजोंं के कल्चर को साफतौर पर देखा जा सकता है। यहां पर आपको कई मिशनरी स्कूल और कॉलेज देखने को मिल जाएंगे। अंग्रेजों ने 1899 तक यहां एक रेलवे स्टेशन भी विकसित किया, इसके अलावा वन अनुसंधान संस्थान को भी यहां देखा जा सकता है।
मसूरी
रिपोर्ट्स के अनुसार यह पहला हिल स्टेशन था, जहां अंग्रेजों ने 1825 के आसपास अपना पहला रिजॉर्ट स्थापित किया था। 1814 में मसूरी में अंग्रेजों और गोरखाओं के बीच युद्ध छिड़ गया था। इसके बाद जीतने के बाद मसूरी में रिजॉर्ट बनवाए गए थे। मसूरी से चकराता के रास्ते में कई शिविरों का निर्माण भी किया गया था।