जब राष्ट्रपति ने कहा- भीगने दे यार, दिल्ली में ऐसी बारिश कहां!

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भारत का राष्ट्रपति प्रोटोकॉल में सबसे ऊपर आता है। इसी वजह से उसकी सुरक्षा इंतजाम उसी स्तर के होते हैं।आमतौर पर राष्ट्रपति इसे तोड़ते नहीं और नियम मुताबिक ही चलते हैं। मगर जो राष्ट्रपति खुले और उदात्त विचारों के होते हैं, वे प्रोटोकॉल के गैरजरूरी बंधनों को बोझ समझकर तोड़ देते हैं। ऐसे ही एक राष्ट्रपति हुए हैं ज्ञानी जैलसिंह, जिन्होंने एक बार बारिश में भीगने के लिए प्रोटोकॉल ऐसा तोड़ा कि सब देखते रह गए।

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किस्सा सन 1985 की बारिश का है। जैलसिंह मूलतः पंजाबी थे और पंजाबियों की तरह ही मस्तमौला प्रकृति के थे। मगर जब वे राष्ट्रपति बने तो उन्हें प्रोटोकॉल के मुताबिक अत्यधिक गंभीर व्यवहार करना होता था। न वे सुरक्षा इंतजामों के बिना कहीं जा सकते थे और न ही अपने तयशुदा कार्यक्रमों के अलावा मनचाहे काम कर पाते। कई बार वे इसे नाटकीयता कहते और नियमों में खुद को बंधा हुआ महसूस करते। इस बीच उनका पंजाब जाना हुआ। सुरक्षा स्टाफ, अधिकारियों का पूरा लवाजमा साथ था।

दौरे के दौरान किसी जगह राष्ट्रपति व अन्य सभी पैदल गुजर रहे थे, तभी झमाझम बारिश शुरू हो गई। स्टाफ ने तुरंत राष्ट्रपति पर छाता तान दिया। यह देख जैलसिंह बोले – ‘ओय यार, मैनू भीगने दे। ऐसी बारिश दिल्ली में कहां मिलती है। ये पंजाब है पंजाब, मेरा घर। यहां तो मुझे बचपन जी लेने दे।’ इसके बाद तो वे मन भरकर भीगे। उन्हें देख स्टाफ व अधिकारी भी आनंद में डूब गए।

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