तीन संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकी गिरफ्तार

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आतंकी संगठनों पर लगातार नकेल कस रही आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) को तीन संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकियों को पकड़ने में सफलता मिली है। तीनों सगे भाई हैं और देवबंद (सहारनपुर) से भागकर आए थे।

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एटीएस ने तीनों को चारबाग स्टेशन से गिरफ्तार किया है। इनमें एक आरोपित इमरान की पांच दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर हो गई है। एटीएस उससे पूछताछ कर रही है। तीनों भाई अंसारउल्ला बांग्ला टीम के सक्रिय सदस्य बताए जा रहे हैं।

आइजी एटीएस असीम अरुण के मुताबिक बांग्लादेश के जिला जासौर के ग्राम छितिगड़ा पंतवाड़ा निवासी मो. इमरान, उसके भाई रजीदुद्दीन व मो. फिरदौस को बुधवार को चारबाग स्टेशन से गिरफ्तार किया गया। तीनों हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस से भागने की फिराक में थे। इसकी सूचना पर एटीएस के एएसपी राजेश साहनी व सीओ दिनेश पुरी की टीम ने घेरेबंदी कर पकड़ा।

तीनों के पास से फर्जी नाम-पते पर बनवाए गए आधार कार्ड मिले हैं। अंसारउल्ला बांग्ला टीम के आतंकी बांग्लादेश निवासी अब्दुल्लाह अल मामून को एटीएस ने छह अगस्त को मुजफ्फरनगर के कुटेसरा क्षेत्र से गिरफ्तार किया था। अब्दुल्लाह ने पूछताछ में अपने कई साथियों के नाम उगले थे, जिनकी तलाश की जा रही थी।

इस कड़ी में एटीएस ने 12 सितंबर को देवबंद स्थित कई मदरसों में छानबीन व पूछताछ की थी। इसी दौरान सूचना मिली कि एक मदरसे से तीन युवक लापता हैं। जांच में सामने आया कि इमरान व उसके दोनों भाई एक मदरसे में पढ़ाते थे, जो देवबंद से अचानक पलायन कर गए हैं। तभी से एटीएस तीनों की तलाश कर रही थी। पूछताछ में तीनों आरोपितों ने खुद को बांग्लादेशी नागरिक व भारत में अवैध तरीके से छिपकर रहने की बात स्वीकार की।

एटीएस ने गुरुवार को तीनों आरोपितों को कोर्ट में पेश किया। एटीएस ने कोर्ट में अर्जी देकर तीनों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर दिए जाने की मांग की थी। एटीएस अधिकारियों के मुताबिक कोर्ट ने इमरान की पांच दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर की है।

एटीएस के डिप्टी एसपी मनीष सोनकर इमरान को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रहे हैं, जबकि उसके भाई रजीदुद्दीन व फिरदौस को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। एटीएस इमरान से खासकर अचानक देवबंद छोड़ने की वजह व अंसारउल्ला बांग्ला टीम से कनेक्शन जानने की कोशिश करेगी।

ढाई साल से रह रहा था इमरान: इमरान करीब ढाई साल से देश में अवैध तरीके से छिपकर रह रहा था। वह देवबंद के एक मदरसे को अपनी शरणस्थली बनाए था और वहां पढ़ाता था। इमरान ने बाद में अपने दो भाइयों को भी बुला लिया था, जो उसके साथ ही रह रहे थे।

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