..तो फिर से होगी आरुषि तलवार के कातिल की तलाश

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कत्ल वाली उस रात आरुषि के घर से डायनिंग टेबल पर एक वाइन की बोतल मिली थी. डॉ. तलवार ने बताया था कि उन्होंने उस रात वाइन पी थी. वाइन की बोतल पर खून के कुछ निशान भी मिले. पर खून के वो निशान या बोतल पर मिले उंगलियों के निशान से जांच में कोई मदद नहीं मिली. निशान किसी से मैच नहीं कर पाया. कुल मिलाकर इस केस में कहानियां तो तमाम हैं. पर कोई पुख्ता सबूत या एक भी चश्मदीद नहीं है. ऐसे में लगता है कि फिर से कातिल की तलाश एक नए सिरे शुरू होगी.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया. जज ने भरी अदालत में कहा ‘ये अदालत शक का लाभ देते हुए डाक्टर राजेश तलवार और नुपुर तलवार को आरुषि और हेमराज के कत्ल के इल्ज़ाम से बरी करती है.’ और इसके साथ ही नौ साल चार महीने और 28 दिन बाद ये सवाल एक बार फिर देश के सामने आ खड़ा हुआ है? कि आखिर आरुषि और हेमराज को किसने मारा? कौन है इन दोनों का कातिल?

ज़ाहिर है इस सवाल का जवाब हमारे पास भी नहीं है. वैसे भी जब देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के पास ही इस सवाल का जवाब नहीं है, तो हमारे पास कहां होगा. लेकिन आरुषि का कातिल जो भी हो पर इतना दावे से कह सकते हैं कि आरुषि केस का कातिल कोई और नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ही है. सीबीआई ने ही कत्ल किया है इस केस का.

सीबीआई ने ही गुमराह किया कानून को. सीबीआई ने ही कहानी को हकीकत का नकाब पहना कर अदालत को उलझाया है. अब नौ साल चार महीने और 28 दिन बाद फिर से ढूंढो आरुषि और हेमराज के कातिल को. फिर बनाओ कोई नई कहानी. फिर लाओ कोई नई थ्योरी.

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