झाओ लिजियांग ने कहा था कि पेलोसी का ताइवान जाना, ‘चीन की अखंडता और क्षेत्रीय संप्रभुता को काफी कमजोर करेगा, चीन-अमेरिका के रिश्तों को प्रभावित करेगा और ताइवान के स्वतंत्रता बलों को गलत संदेश भेजेगा।’
अमेरिकी राजनेता नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का फैसला और फिर इसपर चीन की नाराजगी, बीते कुछ दिनों से इसी तरह की खबरें सामने आती रही हैं। अब आखिरकार पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं और चीन की धमकियां बयानों तक ही सीमित रह गई हैं। सवाल है कि आखिर एक राजनेता के दौरे से चीन इतना परेशान क्यों हुआ कि अमेरिका को ही चेतावनी दे डाली। 29 साल पुरानी नजर आती इस नाराजगी के कुछ कारणों को समझते हैं…
साल 1991 में पेलोसी चीन गई थीं। उस दौरान वह राजधानी बीजिंग के तियानमेन चौक पर भी पहुंचीं, जहां दो साल पहले कम्युनिस्ट पार्टी के बलों ने प्रदर्शनकारियों को मार दिया था। खास बात है कि यात्रा के दौरान वह कांग्रेस के दो और सदस्यों के साथ अपने आधिकारिक एस्कॉर्ट्स से बचकर चौक पर पहुंच गई थीं। साथ ही उन्होंने इसके लिए चीन के प्रतिनिधियों से भी इजाजत नहीं ली।
चौक पर उन्होंने एक बैनर दिखाया, जिसपर लिखा था, ‘उनके लिए जो चीन में लोकतंत्र के लिए मर गए’। पेलोसी के इस कदम को लेकर बवाल भी हुआ था। वहीं, कुछ ने इस फैसले की जमकर आलोचना भी की थी।
जब हू जिंताओ ने पत्र लेने से किया इनकार
बात साल 2002 की है। उन्होंने चीन के तत्कालीन उप राष्ट्रपति हू जिनताओ से मुलाकात की थी। उस दौरान उन्होंने जिनताओ को कुछ पत्र देने की कोशिश की। हालांकि, उनकी इस पेशकश को जिनताओ की तरफ से अस्वीकार कर दिया गया था। दरअसल, उन्होंने इन पत्रों में चीन और तिब्बत में कुछ कार्यकर्ताओं को नजरबंद करने और जेल में रखने पर चिंता जाहिर की थी। साथ ही उन्होंने रिहाई की भी मांग की थी।
खबरें आई कि 7 साल के बाद पेलोसी ने एक बार फिर कथित तौर पर चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति के जरिए उन तक पत्र पहुंचाए थे। इसमें राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग उठाई गई थी।
फिर ओलंपिक मामले में ठनी
मानवाधिकार पर खुलकर बोलने वाली पेलोसी ने चीन में ओलंपिक आयोजन के प्रयासों का भी विरोध किया था। फिर 2008 में भी तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के सामने चीन के समर ओलंपिक्स के उद्घाटन समारोह का विरोध करने वालों में वह शामिल रहीं। हालांकि, उस दौरान वह इस काम में सफल नहीं हो सकी थी। इसके बाद साल 2022 में भी विंटर ओलंपिक्स को लेकर पेलोसी का विरोध जारी रहा और इस बार कारण उइगर मुसलमान बने।
चीन को इस दौरे से क्यों है परेशानी?
चीन के लिए अमेरिकी राजनेता का द्वीप का दौरा करने ताइवान की आजादी के लिए किसी तरह के अमेरिकी समर्थन का संकेत देता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियांग ने कहा था कि पेलोसी का ताइवान जाना, ‘चीन की अखंडता और क्षेत्रीय संप्रभुता को काफी कमजोर करेगा, चीन-अमेरिका के रिश्तों को प्रभावित करेगा और ताइवान के स्वतंत्रता बलों को गलत संदेश भेजेगा।’