नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने म्यांमार दौरे के आखिरी दिन गुरुवार को बहादुर शाह जफर की यंगून स्थित मजार पर गए। यहां उन्होंने अंतिम मुगल बादशाह को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद, वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी जब 2012 में इस साउथ-ईस्ट एशियाई देश का दौरा किया था, तो वह इस मजार पर गए थे।
शाह के मकबरे की अहमियत
शाह की कब्र को भारत लाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। बहादुर शाह की मौत साल 1862 में 89 साल की उम्र में हुई थी और उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में ही दफना दिया। जफर ने 1857 की क्रांति के बाद अपने आखिरी साल म्यांमार में ही निर्वासन में गुजारे थे। माना जाता है कि ब्रिटिश हुकूमत ने आखिरी मुगल बादशाह की कब्र को छिपा दिया था ताकि दफन से जुड़े ठिकाने का ठीक-ठीक पता नहीं चल सके। हालांकि, 1991 में जब इस छिपी हुई कब्र की खुदाई शुरू हुई, तो मौजूदा मजार के अवशेष मिले। बादशाह की पत्नी जीनत महल और उनके पोती रौनक जमानी बेगम को भी वहीं दफनाया गया और उनकी कब्रें भी इस मकबरे में हैं।