रेल मंत्रालय संवारने में फेल रहे प्रभु

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नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संभवत: आखिरी बड़े कैबिनेट फेरबदल में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर फोकस किया है। इसलिए मोदी की कोशिश इस नई टीम के जरिए अपने चुनावी वादों को पूरा करने की होेगी। ताकि 2019 के चुनाव में उनके ड्रीम प्रोजेक्ट चुनावी जुमला न बन जाएं। अगले चुनाव में वे इन वादों को सफलता के तौर पर जनता के सामने रखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री के तीन बड़े चुनावी वादे थे। इनमें स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन, सभी को बिजली देना शामिल था।

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स्मार्ट सिटी योजना को गति देने के लिए उन्होंने किसी नेता पर यकीन नहीं करते हुए पूर्व राजनयिक हरदीप पुरी को चुना है। वे अमेरिका, जर्मनी और ब्राजील में तैनाती के समय कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ शहरी विकास मसले पर जुड़े रहे हैं। ऐसे में उनका अनुभव यहां काम आ सकता है।
– बुलेट ट्रेन भी प्रधानमंत्री का एक बड़ा सपना है। इसमें जापान के साथ मिलकर कार्य करना है। यहां पर पीयूष गोयल को लाया गया है। बतौर ऊर्जा, कोयला, खान मंत्री दुनिया भर में उनका कामकाज मोदी काे पसंद आया है। इसी वजह से उन्हें रेलवे दिया गया है।
– सुरेश प्रभु को हालांकि रेलवे से हटा दिया गया है, लेकिन उन्हें इससे भी बड़ा और अहम वाणिज्य मंत्रालय दिया गया है।
– यह लोगों को चौंका सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री ने यह कदम भी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया को गति देने के इरादे से किया है। रेलवे में दुर्घटना को भले ही वह नहीं रोक पाए लेकिन जिस तरह से उन्होंने तकनीक को अपनाने की दिशा में रेलवे को बढ़ाया।

 

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