शेयर बाजार के बिगड़े मूड से अटके 1.6 खरब रुपये के आईपीओ

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89.4 हजार करोड़ के आईपीओ को मिल चुकी है स्वीकृति और 69.3 हजार करोड़ को संबी की मंजूरी का इंतजार। 24 हजार करोड़ रुपये के आईपीओ स्टार्टअप लाने की तैयारी में है। पिछले साल 1 लाख करोड़ से ज्यादा के आए

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शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव की वजह से करीब 1.6 लाख करोड़ (खरब) रुपये के आरंभिक सार्वजनिक आरंभिक निर्गम (IPO) अटके पड़े हैं। कंपनियां और निवेशक बाजार के सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से करीब 89 हजार करोड़ रुपये के आईपीओ को मंजूरी भी मिल चुकी है, लेकिन बाजार के मौजूदा हालात को देखते हुए कंपनियां साहस नहीं जुटा पा रही हैं। हालांकि, कुछ आईपीओ को सेबी की सख्ती की वजह से भी अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। निवेशकों की सुरक्षा के लिए सेबी कई मानकों पर कंपनियों के मूल्यांकन को परख रहा है।

बाजार सुधरने की आस

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर के निवेशक सहमे हुए हैं और बेहद सधा हुआ कदम उठा रहे हैं। भारतीय बाजार को लेकर निवेशकों का भी यही रुख है। प्राइम डेटाबेस के एक अध्ययन के भारत में 1.6 लाख करोड़ के संभावित आईपीओ में वह कंपनियां भी शामिल हैं, जिन्हें 89,468 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिली है। जबकि बाकी 69,320 करोड़ रुपये के आईपीओ को मंजूरी का इंतजार है।

महंगाई और ब्याज दरों का संकट

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारत समेत दुनियाभर में महंगाई 20 से 40 साल की उच्चतम स्तर पर पहुंची हुई है। इसकी वजह से भारत और अमेरिका के के अलावा यूरोप के कई देशों ने ब्याज दरों में इजाफा किया है। इससे भारत समेत अन्य विकासशील देशों से निवेशक पूंजी निकालकर अमेरिका और यूरोप में ले जा रहे हैं। इसकी वजह से भारतीय बाजार में तेज उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में कंपनियां मंजूरी मिलने के बाद भी आईपीओ लाने का साहस नहीं कर पा रही हैं।

स्टार्टअप की चुनौतियां बढ़ीं

सेबी की ओर से अब तक 24 हजार करोड़ के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) महंगे मूल्यांकन (वेल्यूएशन) की वजह से रोके जा चुके हैं। माना जा रहा है कि सेबी की इस सख्ती से स्टार्टअप और टेक कंपनियों के लिए बाजार में सूचीबद्धता मुश्किल हो सकती है। सॉल्व के सीईओ अमित बंसल का कहना है कि ऊंचे मूल्यांकन ने निवेशकों को अब सतर्क कर दिया है।

निवेशक अब पूंजी लगाने के पहले स्टार्टअप के मूल्यांकन की बजाय उसके द्वारा संपत्ति बनाए जाने यानी वैल्यू क्रिएशन को तरजीह दे रहे हैं। साथ ही दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरें बढ़ाए जाने से बाजार में तरलता घटी है और इसकी वजह से भी स्टार्टअप को बाजा से पूंजी जुटाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

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