सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से पूछा है कि वैध कारणों के चलते अमान्य नोटों (500-1000) को जमा नहीं करा सके लोगों को एक और मौका दिया जा सकता है ? इस बात का जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते का वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात बेहद तल्ख लहजे में कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आप लोगों की मेहनत की कमाई को इस तरीके से बर्बाद नहीं कर सकते। आप लोगों ने उनको एक खिड़की देने का वादा किया था, जिन लोगों को सच में परेशानी है आप उनसे ऐसे बचकर नहीं निकल सकते।’
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि नोटबंदी का फैसला लोगों को सचेत करने के लिए है और पुराने नोट जमा करने की तारीख को तीस दिसंबर के आगे नहीं बढ़नी चाहिए।
इस साल अप्रैल महीने में कोर्ट ने कहा था कि वह मामले की सुनावई गर्मियों की छुट्टियों के बाद करेगा। जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कॉल की पीठ ने कहा था कि मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टियों के बाद की जाएगी। केंद्र ने एक हलफनामा दायर निजी फर्मों और एनआरआई द्वारा दायर की गई याचिका का जवाब दिया था। एनआरआई और उन निजी फर्मों ने याचिका दायर कर पुराने नोट बदलवाने के लिए ज्यादा समय मांगा था।
8 नवंबर से 500 और 1000 रुपए के बड़े नोटों को बैन कर दिया था। इसके पीछे का कारण ब्लैक मनी, फेक करेंसी पर रोक लगाने और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देना बताया गया।