बीएचयू में बवाल के मामले में वाराणसी के कमिश्नर रमेश नितिन गोकर्ण ने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में सीधे तौर पर यूनिवर्सिटी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया गया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूनिवर्सिटी ने पीड़ित छात्रा की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और न ही मामले की संवेदनशीलता को समझा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसके बाद भी लापरवाही बरती और स्थिति को समय रहते काबू करने के लिए कदम नही उठाए।
सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में यह भी बीएचयू प्रशासन ने अगर धरने के पहले दिन ही छात्र-छात्राओं से संवाद किया गया होता तो परिसर में उपद्रव के हालात नहीं बनते।
यह भी बताया गया है कि कानून व्यवस्था ठीक होने और धरना शांतिपूर्ण होने का दावा करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पूरे मामले से दूरी बनाए रखी। जिला प्रशासन ने भी यदि शुरुआत में ही बीएचयू प्रशासन से वार्ता कर हल निकालने की कोशिश की होती तो छात्राओं की सुरक्षा की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन उग्र नहीं होता।
बता दें कि शनिवार रात परिसर हुए पथराव, लाठीचार्ज, बमबाजी, आगजनी और फायरिंग के मामले में रविवार को प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। इसी मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज की घटना की जांच कराने का निर्देश कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण को दिया है। उनसे मीडियाकर्मियों की पिटाई पर भी रिपोर्ट मांगी गई है।
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बीएचयू की छात्राओं पर पुलिस लाठीचार्ज के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की और जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान निकालने को कहा है।
सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय इस मामले को लेकर कुलपति को छुट्टी पर भेजने के विकल्पों पर विचार कर रहा है। कुलपति के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को लेकर विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है।
गौरतलब है कि छेड़छाड़ के एक मामले को लेकर छात्राएं विरोध प्रदर्शन कर रही थीं। विश्वविद्यालय सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान वहां मौजूद सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोका। बाद में पुलिस के लाठीचार्ज में एक छात्रा और दो पत्रकार घायल हो गए।