भाई-बहन में होती है लड़ाई तो ऐसे तलाशें समाधान

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भाई-बहन में छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़ा होना आम बात है। अभी तक प्रीति यही समझती थी। मगर आज की लड़ाई के बाद उसके बच्चों ने अपने कमरे तक बदल लिए, जबकि बचपन के दिनों में रिश्तों में जो मिठास घुलती है वो बड़े होकर एक साथ बने रहने में मदद करती है। इसी बात को सोचते हुए आज उसने एक निर्णय लिया है कि वह अब अपने बच्चों की लड़ाई में अपनी भूमिका बदलेगी। वो बच्चों के बीच लगातार हो रहे छोटे-बड़े झगड़ों को पूरी तरह से खत्म करना चाहती है।

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अक्सर माता-पिता बच्चों के झगड़े में रेफरी भर बनकर रह जाते हैं। इससे वे तनाव भी बहुत महसूस करते हैं। उनकी बहुत सारी ऊर्जा इस काम में खत्म होती है, सो अलग। इसके बाद भी यह बात मन में आती है कि बच्चों के सामने हमारी छवि खराब तो नहीं हो रही। यह सब कुछ बहुत ही खराब अनुभव के तौर पर मन में बैठ जाता है। अगर बच्चों के इस आपसी झगड़े से छुटकारा पाना चाहती  हैं तो सबसे पहले इस बात को दिमाग से निकाल दीजिए कि बच्चे क्या सोचेंगे। आपका काम बच्चों को सही बात सिखाना है और तय है कि इसके लिए आपको कुछ सही तरीके सिखाने होंगे। बच्चों पर क्या असर होगा, यह सोचने की जगह उनसे जुड़ी इस समस्या को खत्म करने की दिशा में कोशिश करना शुरू कर दीजिए। कुछ बातें इसमें आपकी मदद कर सकते हैं:

एक-दूसरे की खासियत लिखें
अपने बच्चों से कहें कि वो एक-दूसरे की खासियतों को एक पेपर पर लिखें। जब एक बच्चा ये जानेगा कि दूसरा उसके बारे में कितना अच्छा सोच रहा है तो वो जरूर अपने मन से उसके बारे में गलत बातें निकाल देगा। इस तरह की गतिविधियां बच्चों में अपने भाई- बहनों का हर हालात में साथ देने के लिए प्रेरित करेंगी। इस तरह के प्रयास से भाई-बहन के बीच रिश्ते की नींव बचपन से ही मजबूत पड़ेगी र्जो ंजदगी भर उनके काम आएगी।

देखो, वो तुम्हारी मदद करता है
बच्चे जब आपसे भाई या बहन की गलती बताएं तो उनकी बात खुल कर सुनें, पर उन्हें यह जरूर समझाएं कि उनके भाई या बहन ने उनकी कैसे, कब और कितनी मदद की है। जैसे कई बार बड़े भाई-बहन अपने से छोटे भाई-बहनों की होमवर्क में मदद करते हैं। या फिर उनके साथ खेलते हैं। मूल रूप से आपको अपने बच्चों को यह सिखाना होगा कि उनमें से कोई भी एक-दूसरे के बिना नहीं रह पाएगा। इसलिए बेहतर है कि वे साथ-साथ खुश होकर रहें न कि लड़ाई करके।

पक्षपात न करें
कई बार माता-पिता बड़े बच्चों से चुप हो जाने की अपेक्षा रखते हैं। उन्हें कहते हैं, ‘तुम बड़े हो, तुम्हें सोचना चाहिए था।’ यह तरीका एकदम गलत है। बच्चे को उसकी उम्र और जरूरत के हिसाब से आपको समझाना होगा और व्यवहार करना होगा। वो बड़ा जरूर है, पर उसकी उम्र कितनी है इस बात को भी आपको ध्यान में रखना होगा।

जब न संभल रहा हो झगड़ा
ऐसा कई बार होता है, जब बच्चों का झगड़ा संभलता ही नहीं है। बच्चे आपस में चिल्लाकर बात कर रहे होते हैं। दोनों में से कोई आपकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं होता। आपके डांटने और चिल्लाने पर भी अगर बच्चों का झगड़ा शांत न हो तो दोनों को एक-दूसरे की नजरों से कुछ देर के लिए दूर कर दें। दोनों बच्चों को खेलने के लिए बाहर भेज दें। जब उनका ध्यान और ऊर्जा कहीं और केंद्रित होने लगेगा तो आपसी लड़ाई को वे तुरंत भूल जाएंगे। संभव है कि बाहर अगर कोई तीसरा बच्चा उन्हें परेशान करने लगे तो वे दोनों ही टीम बनकर उसका मुकाबला करने लगें। बच्चे का ध्यान लड़ाई की जगह कहीं और लगाकर आप उनके झगड़े पर लगाम लगा सकती हैं।

झगड़ा खत्म करने के बारे में सोचो
बच्चों को यह भी बताना जरूरी है कि झगड़ा बढ़ाने का फायदा नहीं होता, बल्कि झगड़ा खत्म करने के कई फायदे होते हैं। अपनी बात शांति से सामने रख कर परेशानी का हल निकल सकता है, चीख-चिल्लाकर नहीं। उन्हें यह भी समझाएं कि एक-दूसरे की जो बातें उन्हें पसंद नहीं हैं, उन बातों को स्पष्ट बता दें। ऐसा नहीं करने पर मन में बात बैठी रहेगी और आगे चल कर यह उनके लिए आपस में बैर का कारण भी बन सकती है।

(मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. स्मिता श्रीवास्तव से बातचीत पर आधारित)

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