बाल कलाकारों की प्रस्तुति देख भाव विभोर हुए नगर विकास मंत्री अशुतोष टंडन
शोभा यात्रा की श्रद्धालुओं ने जगह-जगह पूजा अर्चना, बांटा प्रसाद
शानदार जवाबी आतिशबाजी का दर्शकों ने उठाया लुत्फ
लखनऊ । राजधानी के प्राचीनतम दशहरा मेला में शुमार अलीगंज दशहरा मेला को देखने के लिए हमेशा की भांति इस वर्ष भी बड़ी संख्या में दर्शकों की भीड़ उमड़ी। श्री बाल संघ विजया दशमी समिति द्वारा इस बार लगातार 58वीं बार इसका आयोजन किया । शाम छः बजे पुराने हनुमान मन्दिर से भगवान श्री रामचन्द्र जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गयी जिसको देखने के लिए सड़क के दोनों ओर भक्त कतारबद्ध होकर खडे़ रहे। शोभा यात्रा की जगह -जगह आरती उतारी गयी और फूल बरसा कर स्वागत किया गया तथा भक्तों में प्रसाद का वितरण किया गया।
सायं 8ः30 बजे शोभा यात्रा मेला स्थल एच-पार्क (निकट आईटीआई चौराहा), अलीगंज पंहुची। इसके बाद बाल कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया जिसे देख दर्शक भाव-विभोर हो गये। बाल कालाकारों ने मेघनाद लक्ष्मण संवाद, लक्ष्मण शक्ति, कुम्भकरण वध, मेघनाद व रावण वध का सजीव मंचन कर मुख्य अतिथि नगर विकास मंत्री अशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन, विशिष्ट अतिथि चीफ वार्डेन सिविल डिफेंस अमरनाथ मिश्रा समेंत अन्य गणमान्य लोगों व सभी उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। चीफ वार्डेन सिविल डिफेंस अमरनाथ मिश्रा ने अपनी तरपफ से सभी बाल कालाकारों के लिए 5100/रूपये के पुरस्कार की घोषणा की, और समिति की तरफ से स्मृति चिन्ह और पुरस्कार देकर सभी बाल कलाकारों को सम्मानित किया गया।समिति की ओर से संस्थापक आनन्दी लाल गुप्ता, अध्यक्ष अजय सक्सेना व महामंत्री अयोध्या प्रसाद ने अतिथियों को अंग वस़्त्र, स्मृति चिन्ह व तुलसी का पौधा भेंट कर सम्मानित किया। मेला प्रबंधक हीरालाल वर्मा ने मंच का संचालन किया।
इसके बाद 9ः30 बजे से जवाबी आतिशबाजी का प्रदर्शन किया गया जिसमें अमेठी और चिनहट से आये आतिशबाजों ने एक के बाद एक अनोखी आतिशबाजी प्रस्तुत कर हजारों की तादाद में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया इसके साथ ही रावण व मेघनाद के भीमकाय पुतलों का दहन किया गया।
विदित हो कि ट्रांस गोमती क्षे़त्र में आयोजित होने वाला यह सबसे बड़ा मेला है जिसमें दशकों से बड़ी संख्या में दर्शक आते रहें हैं, इस बात की जानकारी देते हुए समिति के संस्थापक आनन्दी लाल गुप्ता ने बताया कि ट्रांस गोमती क्षेत्र का यह सबसे पुराना व सबसे बड़ा मेला है और शुरूआत के दिनों से ही इस मेले की अपनी अलग पहचान है। उन्होंने यह भी बताया कि शुरुआती दौर में ट्रांस गोमती क्षेत्र में दो या तीन स्थानों पर मेले का आयोजन किया जाता था उस समय भी सबसे ज्यादा लोग यहाँ पर आते थे । उन्होंने बताया कि आज जब आस-पास के क्षेत्र में दर्जनों स्थानों पर रामलीला और दशहरा मेला आयोजित किया जा रहा है उसके बावजूद यहाँ आने वाले दर्शकों की संख्या दिन प्रति दिन बढती जा रही है।