इदलिब| अमेरिका ने हाल ही में उत्तरी सीरिया से अपनी फौज हटाने का फैसला किया है। यह इलाका विश्व का सबसे बड़ा कुर्द इलाका है। यहां करीब 30 मिलियन कुर्द रहते हैं। कुर्दों को अमूमन अमेरिका के खास सहयोगी के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, अमेरिका के इस कदम से अब तुर्की के लिए कुर्दों पर आक्रमण करने का रास्ता साफ हो गया है। तुर्की और कुर्द लड़ाकों के बीच दशकों पुरानी रंजिश है।
कुर्दों का संगठित तौर पर कोई एक देश नहीं है। यह तुर्की, सीरिया, इराक और ईरान और आर्मेनिया के कुछ इलाकों में तुर्क फैले हुए हैं। 2कु विश्व का सबसे बड़ा समूह हैं जिनका कोई देश नहीं है। कुर्दों की कुल आबादी करीब 25 मिलियन से 35 मिलियन के बीच है और यह मिडिल ईस्ट का चौथा सबसे बड़ा समूह है। ऑटोमन साम्राज्य प्रथम विश्व युद्ध में हार के साथ ही बिखर गया था। कुर्दों को विश्व युद्ध के बाद अलग देश का वादा किया गया था, लेकिन जल्द ही यह समझौता रद्द हो गया। कुर्दों ने लगातार स्वायत्तता की कोशिश की और इसके लिए कई बार संघर्ष भी किया। हालांकि, उनके संघर्षों को हर बार बेरहमी से कुचल दिया गया। 2005 में इराक के एक हिस्से विशेष को कुर्दिश क्षेत्र के तौर पर घोषित किया गया। इसकी सीमाओं में कुर्द की क्षेत्रीय सरकार को स्वायत्तता दी गई।
तुर्की की कुर्द लड़ाकों के साथ लड़ाई 1 सदी से भी पुरानी है। तुर्की की 15 से 20% आबादी कुर्दों की है। 1920 तक तुर्की में कुर्दों का दमन किया गया, उन्हें अधिकारों से वंचित रखा गया। 1980 में कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) ने सशस्त्र आंदोलन शुरू किया। 2013 में दोनों के बीच सीजफायर किया गया और 2015 में फिर से इसका उल्लंघन किया जाने लगा। तुर्की ने पीकेके को आतंकी संगठन घोषित कर दिया।