कम्युनिटी चैंपियंस के प्रयासों को दर्शाती “इकोस ऑफ चेंज” नामक कॉफ़ी टेबल बुक का विमोचन

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“उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किये जा रहे प्रयास और भावी रणनीति “

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन की पहुंच बढ़ाने, इसके प्रति जागरूकता और सेवाओं की प्रगति के लिए प्रतिबद्धता पर विचार करने और परिवार नियोजन को बढ़ावा देने में सिविल सोसाइटी  संगठनों और कम्युनिटी चैंपियंस  की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने के लिए, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटेजीज संस्था द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन  किया गया | संगोष्ठी में महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार, उत्तर प्रदेश सरकार, स्वाति सिंह, प्रयागराज से सांसद ,  प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी,  वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ, वरिष्ठ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ तथा वात्सल्य संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नीलम सिंह, केजीएमयू की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. अंजू अग्रवाल, डॉ. ब्रिन्दा फ्रेउत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोगी इकाई के प्रतिनिधि, परिवार नियोजन की दिशा में कार्य कर रहे विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि, बिहार से आई हुई सिस्टर सुधा, पटना मेडिकल  कॉलेज की चिकित्सा अधिकारी डॉ. रानू सिंह, स्टेट हेल्थ सोसाइटी के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सज्जाद , वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज संस्था की निधि दुबे, अनुज घोष, साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार से  आये हुए कम्युनिटी चैंपियंस बड़ी संख्या में मौजूद थे |

जैसा कि हम सब जानते हैं कि स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए परिवार नियोजन बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाता है | भारत दुनिया में पहला देश है जिसने वर्ष 1951 में परिवार नियोजन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया था। इसी से इस विषय के प्रति हमारी संवेदनशीलता का पता चलता है | हमारे प्रधानमंत्री श्री,  नरेन्द्र मोदी जी ने भी कुछ समय पहले अपने संबोधन में बढती आबादी के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त की थी | ऐतिहासिक शुरूआत के बाद से परिवार नियोजन कार्यक्रम में नीतियों और वास्तविक कार्यक्रम क्रियान्वयन के अनुसार परिवर्तन किया है गया है तथा वर्तमान में इस कार्यक्रम के माध्यम से जनसंख्या स्थिरीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ ही प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा भी दिया जा रहा है |  राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4) के आंकड़ों के अनुसार, 15 से 49 वर्ष के बीच की विवाहित महिलाओं में केवल 32% महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों का प्रयोग कर रही हैं | कंडोम का इस्तेमाल भी केवल 10% हैं और परिवार कार्यक्रम में पुरुषों की भागेदारी भी एक बड़ी चुनौती है | अनमेट नीड भी बहुत ज्यादा है | लगभग 5 औरतों में 1 औरत अपने परिवार को नियोजित करना चाहती है, बच्चों के जन्म में अंतराल रखना चाहती है मगर परिवार नियोजन के साधनों एवं सही जानकारी तक उसकी पहुँच नहीं है | कार्यक्रम की शुरुआत संगोष्टी में चर्चा करने वाले बिन्दुओं से शुरू हुई | परिवार नियोजन के क्षेत्र में सेवा भाव से कार्य करने वाले कम्युनिटी चैंपियंस को किस तरह पहचाना गया और उन्हें किस तरह परिवार नियोजन की चुनौतियो को संबोधित करने हेतु प्रशिक्षित किया गया, इनके द्वारा किये गए सराहनीय कार्यों पर भी ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज के अनुज घोष ने प्रकाश डाला |

कार्यक्रम की विशिष्ठ अतिथि प्रयागराज से सांसद ,  प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी ने कम्युनिटी चैंपियंस की द्वारा की पहल की प्रशंसा करते हुए, इससे जुड़े मिथक और भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया और यह सुझाव दिया कि इसे सामूहिक प्रयासों द्वारा ही दूर किया जा सकता है | इस बढती जनसख्या के परिणामस्वरूप, प्रदेश के अधिकांश जिलों में कुल प्रजनन दर के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त की | अपनी बात को बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि अगर किशोरियों के बचपन से ही उनके बेहतर स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान दिया जाये तो उनका भविष्य निश्चित ही बेहतर होगा | राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (NFHS-4 ) के आंकड़ों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अभी भी लोग परिवार नियोजन को केवल नसबंदी ही समझते हैं, जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है, क्योंकि गर्भनिरोधक के आधुनिक साधन भी मौजूद है जैसे अन्तरा , छाया आदि, जिससे परिवार को सीमित रखा जा सकता है | इससे और बच्चों के जन्म में अंतराल रखना भी संभव होगा | बहुत चिंता का विषय है कि अभी भी महिला नसबंदी 17% के  सापेक्ष, पुरुष नसबंदी केवल 0.1 % है | पुरुषों को परिनार नियोजन कार्यक्रम में सतत भागेदारी के लिए  आगे आना चाहिए | इसके साथ ही लड़का-लड़की के लैंगिक समानता के प्रति भी हमें गंभीर होना होगा | परिवार नियोजन कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए जिस तरह प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में स्वच्छता को एक मुहिम बना दिया गया है , उसी तरह परिवार नियोजन को भी जन आन्दोलन का रूप लेना पड़ेगा, तभी इसके लक्ष्यों की प्रगति में अपेक्षित तेज़ी आएगी |

महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार, उत्तर प्रदेश सरकार, स्वाति सिंह ने कहा कि लड़कियों की शिक्षा और उनका स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है | खासकर, उनमें एनीमिया की रोकथाम करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि अगर वे स्वस्थ हैं तो एक स्वस्थ परिवार का निर्माण होगा, स्वस्थ समाज का निर्माण होगा उअर स्वस्थ प्रदेश के निर्माण होगा | इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने परिवार नियोजन में आप जैसे कम्युनिटी चैंपियंस की तरह ही “ वीरांगना दल” बनाया है जो किशोरियों को पढने के लिए और बेहतर पोषण के लिए प्रेरित करेगा |

संगोष्ठी में इस विषय पर विशेष चर्चा हुई कि उत्तर प्रदेश में परिवार नियोजन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किये जा रहे प्रयास और रणनीति को बेहतर ढंग से कैसे लागू किया जाये | कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे और परिवार नियोजन से जुडी हुई चुनौतियों पर गहन विचार विमर्श किया गया | इस अवसर पर प्रयागराज से सांसद ,  प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी की अध्यक्षता में पैनल डिस्कशन के माध्यम से इस मुद्दे पर भी चर्चा की गयी कि परिवार नियोजन कार्यक्रमों में सामूहिक सतत प्रयासों द्वारा समुदाय के व्यवहार में परिवर्तन कैसे लाया जाये |

इस संगोष्ठी का उल्लेखनीय पहलू यह था कि इस अवसर पर परिवार नियोजन के क्षेत्र में सेवा भाव से नि:स्वार्थ काम करने वाले कम्युनिटी चैंपियंस के सराहनीय कार्य को दर्शाती हुई एक कॉफ़ी टेबल बुक “इकोस ऑफ़ चेंज” का विमोचन किया गया | इसके साथ ही, इस अवसर पर कुछ कम्युनिटी चैंपियंस को उनके द्वारा किये गए कार्यों के लिए सम्मानित भी किया गया |

अंत में संगोष्ठी परिवार नियोजन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर से दोहराते हुए समाप्त हुई |

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