यूक्रेन में शांति के लिए शी चिनफिंग मध्यस्थता को तैयार,

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साढ़े तीन महीने से ज्यादा समय से चल रहे यूक्रेन युद्ध में अब चीन की एंट्री हुई है। अभी तक रूस के समर्थन की औपचारिकताएं निभा रहे चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने यूक्रेन युद्ध खत्म कराने में रचनात्मक भूमिका निभाने का प्रस्ताव रखा है। चिनफिंग ने यह प्रस्ताव रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर वार्ता के बाद रखा है। चीनी राष्ट्रपति ने कहा, सभी संबद्ध पक्षों को जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। यूक्रेन की समस्या के समाधान में सही कदम उठाने चाहिए।

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चीन के सरकारी टेलीविजन चैनल ने चिनफिंग के हवाले से कहा है कि चीन इस मसले में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है। चीनी राष्ट्रपति ने कहा, उनके देश ने इस मसले पर शुरू से तटस्थ भूमिका रखी। तथ्यों और ऐतिहासिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर चला। हम विश्व में शांति बनाए रखना चाहते हैं। इसके लिए सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। चीन दुनिया में स्थिर आर्थिक व्यवस्था बनाए रखने का पक्षधर है। चिनफिंग का यह रुख अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के युद्ध के शुरुआती दिनों में किए गए अनुरोधों के काफी बाद सामने आया है।

बाइडन ने फोन से बातचीत में चिनफिंग से रूसी राष्ट्रपति पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए कहा था जिससे युद्ध आगे न बढ़े। लेकिन जैसे ही युद्ध में रूसी सेना की मुश्किलें सामने आती दिखीं, अमेरिका ने युद्धविराम की कोशिश बंद कर यूक्रेन को हथियार भेजने तेज कर दिए। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि चीन ने युद्धविराम के लिए यह कोशिश यूक्रेन को विश्वास में लेकर की है या नहीं। क्योंकि चीन शुरू से इस मसले पर खुद को दूर रखे हुए था। हालांकि वह रूस के साथ हर सीमा से परे अपने सहयोग की भी घोषणा कर चुका था। अब जबकि रूस का यूक्रेन के करीब चौथाई इलाके पर कब्जा हो चुका है।अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंध प्रभावी हो रहे हैं। अमेरिका और यूरोपीय देशों के हथियार व आर्थिक मदद यूक्रेन को मिल रही है। तब चिनफिंग के युद्धविराम के प्रस्ताव की सफलता संदिग्ध हो गई है। रूस के मित्र के रूप में चीन की पहचान पर किसी को शक नहीं है। जाहिर है कि युद्धविराम के लिए चीन की मध्यस्थता में होने वाली किसी भी वार्ता में रूस के हितों का मजबूती से ख्याल रखा जाएगा। यही आशंका यूक्रेन को वार्ता की टेबल से दूर रखने का कारण बन सकती है। फिर मामले में शुरू से यूक्रेन के साथ खड़ा अमेरिका नहीं चाहेगा कि चिनफिंग की चौधराहट में क्षेत्र में शांति स्थापित हो। ऐसे में अमेरिका के सुपर पावर के ओहदे को चोट लगेगी।

हाल ही में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के मध्यस्थता और रूस के प्रति झुकाव वाले बयान से यूक्रेन भड़क चुका है। जबकि फ्रांस शुरू से सैद्धांतिक रूप से यूक्रेन के साथ है और सैन्य व अन्य सामग्री की मदद भी दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य, नाटो और यूरोपीय यूनियन के शक्तिशाली सदस्य के रूप में फ्रांस की खास भूमिका है।

पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से रूस को आर्थिक नुकसान पहुंचा है। रूस की जीडीपी में अगले वर्ष 12 फीसद की गिरावट की आशंका है। रूस इसकी भरपाई के लिए भारत और चीन के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दे रहा है। रूस बीते मई महीने में भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। भारत को तेल आपूर्तिकर्ता देश के रूप में रूस ने सऊदी अरब को भी तीसरे स्थान पर धकेल दिया है।

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