सात साल पहले 800 करोड़ खर्च कर सीवर लाइन डाली गई थी। अब करीब 200 करोड़ खर्च कर घरों में कनेक्शन दिए जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह से लापरवाही बरती जा रही है उससे लखनऊ की सीवरेज योजना पर फिर से सवाल खड़ा हो गया है। अगर सुधार नहीं किया गया तो सीवर एक बार फिर से नालियों व सड़कों पर बहेगा और स्वच्छता का दावा कोरा साबित हो जाएगा।
जल निगम के परियोजना प्रबंधक (अस्थायी गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई) एसके यादव ने अपनी रिपोर्ट में यह आशंका जता दी है कि नालियों को सीवर लाइन से जोड़ना बंद नहीं किया गया तो सीवर योजना पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाएगा। यह मामला दौलतगंज, दुबग्गा, बालागंज की 369 किमी लंबी सीवर लाइन को लेकर उठा है।
इन इलाकों में सीवर लाइन से घरों में कनेक्शन दिया जा रहा है। नगर निगम ने जलनिगम रोड से हरिहरनगर तक सड़क को बीच से खोदकर नालियों को सीवर से जोड़ा है। दरअसल इन इलाकों में सीवर कनेक्शन पाने से शेष रह गए करीब बीस हजार घरों में कनेक्शन देने के लिए 7682.57 लाख की योजना मंजूर की गई है।
अलीगंज, जानकीपुरम, कल्याणपुर, विकासनगर, रहीमनगर, खुर्रमनगर, महानगर, निरालानगर, डालीगंज, निशातगंज में जवाहर लाल अर्बन रीन्यूवल मिशन के अंतर्गत पांच सौ किलोमीटर सीवर लाइन डाली गई थी। इन इलाकों में 50500 घरों में सीवर का कनेक्शन करने के लिए 13933.27 लाख मंजूर हुए हैं।
इंदिरा नगर, गोमती नगर फैजाबाद रोड से जुड़े इलाकों में भी जवाहर लाल अर्बन रीन्यूवल मिशन के अंतर्गत 350 किलोमीटर सीवर लाइन डाली गई थी। यहां 24540 घरों में सीवर का कनेक्शन होना है। जिस पर 7920.50 लाख की योजना को मंजूरी मिली है।
वर्ष 2008 से शुरू हुई जवाहर लाल अर्बन रीन्यूवल मिशन के अंतर्गत डाली गई सीवर लाइन में जल निगम ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की थी। बसपा सरकार और फिर सपा सरकार में भी इन गड़बड़ियों पर पर्दा पड़ता रहा। ठेकेदारों ने सीवर लाइन तो डाल दी, लेकिन मैनहोल बनाने के दौरान डाली गई बोरियां तक नहीं हटाईं।
सीमेंट व कंकरीट मसाले की सफाई न होने से सीवर लाइन के पाइप के मुख तक बंद हो गए। दूसरा खराब पहलू यह रहा है कि जलकल महकमे ने कागजों में सीवर लाइन को हैंडओवर करके यह दावा कर दिया कि घरों में कनेक्शन दे दिए गए, जबकि आज भी कई इलाकों में सीवर लाइन चालू नहीं हो पाई है।
सीवर ओपन में नहीं होना चाहिए। वह सीधे एसटीपी में जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि नालियों में जाने से संक्रमण का खतरा बना रहेगा। खुले में शौच मुक्त करने का मकसद ही यह है कि मल खुले में न रहे।